पृथ्वी का वायुमण्डल व उसका विस्तार
पृथ्वी को घेरती हुई जितने स्थान में वायु रहती है उसे वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल के अतिरिक्त पृथ्वी का स्थलमंडल ठोस पदार्थों से बना और जलमंडल जल से बने हैं। वायुमंडल कितनी दूर तक फैला हुआ है, इसका ठीक ठीक पता हमें नहीं है, पर यह निश्चित है कि पृथ्वी के चतुर्दिक् कई सौ मीलों तक यह फैला हुआ है
वायुमण्डल की परतें
- क्षोभमण्डल
- समतापमण्डल
- मध्यमण्डल
- तापमण्डल
- बाह्यमण्डल
1-क्षोभमण्डल ( 0 से 8/18 किमी )
यह मण्डल जैव मण्डलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मौसम संबंधी सारी घटनाएं इसी में घटित होती हैं।
मौसम संबंधी सभी परिवर्तन इसी में होनें के कारण इसे परिवर्तन मंडल भी कहते हैं !
प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर वायु का तापमान 1 डिग्री सेल्सियस की औसत दर से घटता है। इसे सामान्य ताप पतन दर कहते है।
इस मण्डल की सीमा विषुवत वृत्त के ऊपर 18 किमी की ऊंचाई तक तथा ध्रवों के ऊपर लगभग 8 किमी तक है।
ऊपरी क्षोभमंडल में जेट वायुधारा प्रवाहित होती है !
जलबाष्प , धूलकणों का अधिकांश भाग इसी में मिलता है !
2-समतापमण्डल
इसका विस्तार 8 या 18 किमी से 50 किमी तक होता है !
इसमें ओजोन परत ( 15 से 35 किमी ) पाऐ जानें के कारण इसे ओजोन मंडल भी कहते हैं !
ओज़ोन गैस सौर्यिक विकिरण की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को सोख लेती है और उन्हें भूतल तक नहीं पहुंचने देती है तथा पृथ्वी को अधिक गर्म होने से बचाती हैं।
इस मण्डल में प्रारंभ में तापमान स्थिर रहता है तथा 20 किमी के बाद बढनें लगता है ! ऐसा ओजोन गैसों की उपस्थिति के कारण होता है , जोकि पराबैगनी किरणों को अबशोषित कर तापमान बढा देती हैं !
समताप मण्डल बादल तथा मौसम संबंधी घटनाओं से मुक्त रहता है।
इस मण्डल के निचले भाग में जेट वायुयान के उड़ान भरने के लिए आदर्श दशाएं हैं।
3-मध्य मण्डल ( 50 से 80 किमी )
इसका विस्तार 50-55 किमी से 80 किमी तक है।
इस मण्डल में तापमान ऊंचाई के साथ घटता जाता है तथा लगभग -100 डिग्री सेंटीग़्रेट तक पहुच जाता है , जोकि वायुमंडल का न्युनतम तापमान हैं ! व इसकी ऊपरी सीमा से बाद पुन: ताप में व्रद्धि होने लगती है !
4-आयन मण्डल ( 80 से 640 किमी )
इस मण्डल में ऊंचाई के साथ ताप में तेजी से वृद्धि होती है।
इसमें विद्युत आवेशित कणों की अधिकता होती है ,जिहें आयन कहा जाता है ! इन्ही की अधिकता के कारण इस मंडल का नाम आयन मंडल है ! ये कण रेडियो तरंगों को भूपृष्ठ पर परावर्तित करते हैं और बेतार संचार को संभव बनाते हैं।
5-बाह्यमण्डल ( 640 किमी से ऊपर )
इसे वायुमण्डल का सीमांत क्षेत्र कहा जाता है। इस मण्डल की वायु अत्यंत विरल होती है।
यहां गैसों का घनत्व बहुत कम पाया जाता है , यहां हाइट्रोजन व हीलियम गैसों की प्रधानता होती है !
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